हिन्दू नवा बच्छर के बधाई..

आज फेसन के युग हे। ये बात सोलाआना सिरतोन हे फेर फेसन के चलन मा अपन जरी कटई हा अलहन ला नेवता देवई हरय। आज बिदेशी जीनिस ला अपनाय के चस्का मा अपन देशी मान मरजाद ला घलाव मेटावत चले जाथन। अइसने एकठन नवा फेसन हे 31 दिसंबर के अधरतिहा हो हल्ला करत नवा बच्छर के सुवागत करई। फेर सिरतोन मा एहा हमर भारतीय नवा बच्छर नो हे। पबरित भारत भुँइयाँ के शान अउ मान दु हजार ले जादा जुन्ना विक्रम संवत हा हरय जेखर सुग्घर सुरुवात चइत अंजोरी पाख के नवरात के पहिली दिन होथे। हिन्दू संसकीरति के विक्रम संवत के चलन अउ ओखर नामकरन ला थोरिक जाने के परयास करथन।




दु हजार पहिली बाहिरी शक मन हा सौराष्ट्र अउ पंजाब ला रौंदत अवन्ती उपर आक्रमन करीन अउ जीत के झन्डा लहराईन। इही समे मा हिन्दू राजा विक्रमादित्य हा जम्मो देशी ताकत मन ला सकेलीन अउ सुमता के डोरी मा एकमई गुँथीन। सबो ला संघरा करके एकठन बङका अउ सरेस्ठ संगठन बनाके ईसा पहिली सन् 57 मा शक मन उपर बिक्कट बङे आक्रमन करके हरवा दीन। जुरियाय जम्मो देशी ताकत के सुमता हा जीत गे। एखर थोरिक समे बाद राजा विक्रमादित्य हा कोंकन,सौराष्ट्र, गुजरात अउ सिंध भाग के प्रदेश मन ला बाहरी आक्रमनकारी शक मन के हाथ ले छोङवाईन।

सुरवीर विक्रमादित्य हा शक मन ला उंखर गढ़ अरब मा घलाव हरवा दीन। इही महावीर विक्रमादित्य राजा के नाँव ले भारत भर मा विक्रमी संवत हा चलन मा आइस। राजा पृथ्वीराज के शासनकाल तक इही विक्रम संवत के हिसाब ले सरी बुता काम हा चलीस। एखर बाद हमर देश मा मुगल मन के शासन काल के समे सरकारी क्षेत्र मा हिजरी सन के चलन रहीस। मुगल अउ अंगरेज मन के जाये के पाछू भारत मा दुरदसा अमागे। एहा भाग के लिखना कहाही या फेर सुतंत्र भारत के दु-चार अघुवा नेता मन के दोगलई के पहिली भारत सरकार हा शक संवत ला स्वीकार कर लीस। भारतीय विक्रम संवत ला कोनो मेर जघा नइ मिलीस। इही मेर ले भारत भुँइयाँ के मान-मरजाद ला बेचइया मन हा ए देश के सिरजम कहाय ला धर लीन। देशहित के जघा मा खुद के हित समागे।




31 दिसंबर के अधरतिहा नवा बच्छर के नाँव मा नचईया आम जनता ला देख-सुन के कुछूच नइ कहे जा सकय फेर हमर भारत सरकार के सरकारी दुरदर्शन चेनल हा घलाव नकटा कस नाक ला लमाय बिदेशी रंग मा रंगे दिखथे। नवा साल के नाँव मा कम कपङा-लत्ता पहिरे पीठ-पेट उघरे वाले नाच-गान ला देखावत नइच लजावव। एखर ले बढ़के हमर देश के अघुवा मन हा रथे जउन मन हा नवा साल के नाँव मा सरी राष्ट्र ला नवा बच्छर के बधाई संदेश देथें। अपन संसकीरति ला फेसन के भेंट चढ़ावत हावँय, देश के सभियता अउ संस्कार ला जानबूच के बिगाङत हावँय। हमर भारत भुँइयाँ के रग-रग मा विक्रम संवत हा रचे-बसे हावय। भारतीय संसकीरति मा दुध अउ पानी कस समाय हावय। विक्रम संवत हा बर पेङ कस खोबियाय हावय जेखर जरी ला काटे के परयास फेसन के नाँव मा चलत हावय। ए उदिम मा हमर अघुवा सियान मन घलाव पाछू नइ हें।

विक्रम संवत ला सिरिफ सुरता करे भर ले राजा विक्रमादित्य अउ ओखर वीरता के सुरता आँखी मा झूले ला धर लेथे। जम्मो भारतवासी मन के माथ हा ऊँच हो जाथे। शक संवत ईसवी सन् हा गुलामी के घाव ला अउ हरियर कर देथे। एक जनवरी के दिन नवा बच्छर के बधाई ले-दे ले हमर देश के कोनो काँहीं संबंध नइ हे। ए सिरतोन गोठ ला जन-जन मा बगराय के जरुरत हावय। फेसन अउ बिदेशी सभ्यता के हितवा मन हा मंद-मँउहा के संगे संग मास-मछरी पीये-खाये अउ मेछराय बर अइसन नवा साल ला मनाथे। अस्लील गीत-संगीत के धुन मा बिधुन नाच गा के अपन आप ला पढ़े-लिखे अउ सभ्य समझथें। देशी सभ्यता के हितवा मन ला पिछङा अउ गवाँर समझे जाथे। हमर देश के संसकीरति ला सबले जादा दियाँर कस चटईया सेटेलाईट चैनल मन हा हरँय। थोरिक पइसा के लालच मा बिदेशी संसकीरति के नकल करईया कार्यक्रम ला जादा बढ़ावा देथें। अपन असल संसकीरति ला अंधियारी मा धकेले के सरी उदिम करत हावँय। इंखर संगे संग हमर देश के अघुवा मन हा घलाव अंगरेज के करजा छुटे बर अंगरेजी संसकीरति ला अपनाय मा जोर देवत हावँय।




हमर विक्रम संवत हा हमर देश के मान अउ सम्मान हरय। एमा सबो भारतीय मन ला गरब करना चाही के हमन अंगरेज मन के ईसाई कलेण्डर ले 57 बच्छर आगू हन। ईसाई कलेण्डर हा जिहाँ अभी सन् 2017 मा पहुँचे हे उहे हमर भारतीय विक्रम संवत हा सन् 2074 मा प्रवेश कर जाही अभी चइत नवरात मा। हिन्दू नवा बच्छर परब हा आँसो 29 मार्च 2017 के चइत नवरात हा प्रारंभ होही अउ 5 अप्रेल 2017 के रामनवमी के दिन खतम होही। इही आठ-नौ दिन हा हिन्दू नवा वर्ष कहाथे जेखर सुवागत के संगे संग बधाई संदेशा बङ उछाह अउ उमंग ले ले-दे जाथे। ए तिथि ला एक तिहार अउ परब के रुप मा धारमिक रिती-रिवाज ले मनाय जाथे। हमर ए भारतीय नववर्ष हा बङ प्राचीन अउ वैज्ञानिक अधार ले सिरजे हावय। विक्रम संवत हा हमर धारमिक अउ सांसकीरतिक रंग मा रचे बसे हावय जउन हा घरोघर मा कुल धरम के रुप मा इस्थापित हावय। आज एला जबर धुमधाम ले मिलजुल के एकमई मनाय के खच्चित जरुरत हे। आज काल ए पबरित परब ला बिसारत जावत हन। सिरिफ नेंगहा नाँव भर के रही गे हे।

हमर भारतीय नवा वर्ष ला वेद-पुरान, शास्त्र, इतिहास अउ विज्ञान ले जोङ के नवावर्ष परब मनाय के रुपरेखा बनाय गे हावय। चइत अंजोरी पाख के पहिली दिन बङे फजर ले असनांद-धियान करके सुरुज के पहिली जोत दर्शन ले हिन्दू नवा बच्छर के परब मनाय के सुग्घर सुरुवात होथे। चइत अंजोरी पाख के सुरुवात होय के पहिलीच ए परकीति हा नवा बच्छर के अगवानी मा लग जाथे। नवा बच्छर आये के संदेशा दे ला धर लेथे। परकीति के पुकार ला, महर-महर महक ला, संवरत रंग-रुप ला अउ बिगङत बनत हाल-चाल ला देखे सुने अउ समझे के परयास करबे ता लगथे के परकीति हा पुकार-पुकार के काहत हे के जुन्ना जमाना बितईया हे अउ नवा नेवरिया समे अवईया हे। जुन्ना ला बिसरावव अउ नवा ला परघावव। रुख-राई हा जुन्नटहा पान-पतई ला पतझर के रुप मा तियागथें। हवा हा गर्रा-बङोरा के रुप धरके साफ-सफई मा भींङ जाथे।< /br> पेङ-पौधा मन मा फूल-फर मात जाथे। चारो खूँट महर-महर ममहई हा इतर छींचे बरोबर कहरे ला धर लेथे। आमा हा मँउरे ला धर लेथे, सरसो, गहूँ, अरसी ,जवा मन हा मगन होके नाचे ला धर लेथे। हवा हा मतौना डारे असन जनाथे। सबो कोती नवा नवा उदिम चालू हो जाथे जना मना कोनो बङका तिहार-बहार अवईया हावय। कोइली पोठ कूहकी मारथे, चिरई-चिरगुन मन के चींव-चाँव बाढ़ जाथे। ए सरी बदलाव हा कोनो जबरहा उत्सव के तियारी जइसन लागथे। नवा नवा उछाह अउ उरजा परकीति मा उछाल मारे ला धर लेथे। ए सब नवा वर्ष ला पहुना अवईया के परघनी मा परकीति हा बढ़-चढ़ के करथे। ए सरी परकीति के उदिम हा चइत अंजोरी पाख के पहिली अवईया हिन्दू नवा बच्छर के सुवागत मा होथे। सरी दुनिया भर के नवा वर्ष मा हमर भारतीय नवा बच्छर हा हरय जउन हा परकीति ले जुङे सबले बङे परब हरय। एहा जबर एकलउता परकीति के महा परब हरय।




चइत अंजोरी पाख के पहिली दिन ले लेके रामनवमी के रुप मा नवमी तिथि तक ए नववर्ष के परब ला मनाय जाथे। बङे बिहनिया सुरुज नरायन के दर्शन करके पूजा-पाठ, शंख-घन्टी, ढ़ोलक-नंगारा,झाँझ-मंजीरा, मोहरी-बंसरी जइसन बाजा गाजा ले नंदिया तीर मा तिरिथ इस्थान जाके नवा बच्छर मनाना चाही। ए पबरित अउ शुभ दिन मंगल अउ शुभ कारज करना चाही, जीव हतिया ,मंद-मँउहा जइसन बुराई ले दुरिहा रहना चाही। अपन मन, बचन अउ करम ले कखरो अहित झन होवय इही हमर हिन्दू नवा बच्छर के सार संदेशा हरय।आवव ए संदेशा ला सरी संसार भर मा बगरावन चइत नवरात मा भारतीय नवा वर्ष उछाह ले मनावन।

कन्हैया साहू “अमित”
भाटापारा संपर्क-9200252055
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]


Related posts

One Thought to “हिन्दू नवा बच्छर के बधाई..”

  1. Gazab ka blog hai

Comments are closed.